महामंडलेश्वर बलदेवानंद ने कहा कि धार्मिक अनुष्ठानों से देश में नई ऊर्जा का संचार होता है और राष्ट्र की एकता अखंडता बनाए रखने में संतों की अहम भूमिका है। यह बात उन्होंने बुद्धवार को दूधाधारी चौक के पास हुए महासोम यज्ञ के शुभारंभ पर कही। यज्ञ का शुभारंभ संत महापुरुषों द्वारा धर्म ध्वजा फहराकर किया गया। इस अवसर पर बलदेवानंद ने कहा कि विश्व शांति के लिए महासोम यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म में यज्ञ का विशेष महत्व है। प्राचीन काल से ही मानव कल्याण के उद्देश्यों से यज्ञों का आयोजन किया जाता रहा है। यज्ञ में दी जाने वाले आहुतियों से निकलने वाली ऊर्जा संपूर्ण विश्व में शांति व्याप्त करती है और यज्ञ से निकलने वाला धुआं जहां जहां पहुंचता है, वहां का संपूर्ण वातावरण शुद्ध और भक्तिमय हो जाता है। महामंडलेश्वर परमात्मदेव ने कहा कि संतों के सानिध्य में ही व्यक्ति परमात्मा की प्राप्ति कर सकता है। कहा कि धार्मिक अनुष्ठानों के आयोजन से ही सनातन धर्म की महत्ता का पता चलता है और धर्म के मार्ग पर अग्रसर होकर ही भावी पीढ़ी को संस्कारवान बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि संतों का जीवन सदैव परमार्थ के लिए समर्पित रहता है। युवा भारत साधु समाज के अध्यक्ष महंत शिवानन्द ने कहा कि महासोम यज्ञ देश व समाज को एक नई ऊर्जा का संचार करेगा। विश्व में व्याप्त अशांति के वातारवरण दूर करने में महासोम यज्ञ महत्वपूर्ण सिद्ध होगा। ज्ञानानन्द ने कहा कि संतों का कार्य समाज में सदभाव का वातावरण बनाकर सन्मार्ग की प्रेरणा देना होता है। राष्ट्र व समाज मे उत्थान में संतों ने हमेशा अग्रणीय भूमिका निभायी है। गंगा तट पर आयोजित महासोम यज्ञ संपूर्ण विश्व के लिए कल्याणकारी होगा। इस यज्ञ के माध्यम से राष्ट्र की उन्नति की कामना संत समाज करेगा।
धार्मिक अनुष्ठानों से होता है देश में नई ऊर्जा का संचार